अयोध्यापती "श्रीराम" सद्‌गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के कर्ता गुरु है।

Monday 28 April 2014

Monday 14 April 2014

रामनवमी २०१४ फोटो - आद्य पिपा कक्ष, साई सत पूजन, महाआरती

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महाआरती करते हुए मृणालवीरा और गणपतीसिंह देसाई, आशुतोषसिंह और राखीवीरा वैद्य, शिरिषसिंह आउर प्राचीवीरा पुराणीक, मीनाक्षीवीरा और भास्करसिंह भोंसळे, निशावीरा और कोमलसिंह राजपूत, श्रीमती और श्रीमान राजेश सरैय्या


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चरखा वस्त्र योजना के काऊंटरपर रामनवमी के दिन लडी जमा की जा रही थी

गणपती की इको फ्रेंडली मुर्तीयों को निहारते हुए अनिरुद्ध बापू

अखंड साई राम जप करते हुए अनिरुद्ध बापू, सुचितदादा और नंदाई...
परमेश्वरसिंह सुवर्णा,अजयसिंह भिसे, निनादसिंह घोलकर, रेणूवीरा सिंग, इंदुमतिवीरा शेंडगे, सुनितावीरा कंरडे इन श्रद्धावानो को बापू, आई, दादाने अबीर तिलक लगाया।

आद्य पिपा कक्ष में साईसतचरित्र पठण करते हुए श्रद्धावान और इस पठण का आनंद लेते हुए अनिरुद्ध बापू
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साई सत पूजन करते हुए आदेशसिंह और शर्मिलावीरा कोटेणकर और श्रीमती और श्रीमान मोहिले 


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                                       दत्तगुरू की महाआरती करते हुए अनिरुद्ध बापू




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Thursday 10 April 2014

रामनवमी २०१४ फोटो - औक्षण

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रामनवमी २०१४ का उत्सव बडे उत्साह के साथ मनाया गया। रेणूकामाँ के आल्हाददायी पूजनसे, रामजन्म के मनोहरी विधि के साथ सभी पूजन विधियों में श्रद्धावान बड़ी ही अात्मीयतासे सहभागी हुए।  इस रामनवमी उत्सव के कुछ यादगार पल हम देखनेवाले है।



रेणूकामाता के आगमन दौरान श्रीमती सोनालीवीरा और श्रीमान डॉ. सुहाससिंह घोलकर, श्रीमती पूनमवीरा और श्रीमान कपिलसिंह बोडके इन्हे औक्षण का सुअवसर प्राप्त हुआ ।

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सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू का आगमन लगभग दोपहर के १२. १५ पर हुआ। आगमन के शुरुआत में बापू का औक्षण किया गया। श्रीमती बीनावीरा और श्रीमान प्रदिप सायंगावकर, श्रीमती आशावीरा और श्रीमान विश्वनाथसिंह बडकर, श्रीमती शुभावीरा और श्रीपादसिंह म्हात्रे, श्रीमती भारतीवीरा और शेशगिरिसिंह शेट्टी, श्रीमती रीतुवीरा चौहान, सुखदावीरा वैद्य, ज्योत्स्नावीरा शर्मा इन सब को इस साल औक्षण का सुअवसर प्राप्त हुआ था।


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Monday 7 April 2014

Photos of Raam Navami Utsav 2004

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सद्गुरु श्री अनिरुद्ध उपासना ट्रस्टद्वारा आयोजित रामनवमी उत्सव २००३ के कुछ यादगार पल....

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बापू हंडी प्रसाद बनाते हुए 

Dindi-Yatra
दिंडी यात्रा में सहभागी श्रद्धावान 

परमपूज्य बापू  का आगमन 

arraival of bapu
परमपूज्य बापू जी का आगमन 


Handi Prasad
हंडी प्रसाद 



Sadguru Darshan
भक्तो को दर्शन देते हुए अनिरुद्ध बापू


Aniruddha Bapu
 अनिरुद्ध बापू






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Saturday 5 April 2014

Talibharan by Aniruddha Bapu

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Talibharan Video


तलीभरण : 


रामनवमी के दिन तलीभरन किया जाता है। इस तलीभरन का प्रारंभ श्री अनिरुद्ध बापू करते हैं। अनेकविध वाद्य और ’श्री साईराम जप’ करते हुए यह विधि संपन्न होती है। जो यह तलिभरन विधि में शामिल होता है उसे पॉंच भूखें लोगोंको खाना खिलाने का पुण्य प्राप्त होता है। इसका प्रसाद सभी नौ प्रकार के प्रसादोंमें श्रेष्ठ माना जाता है। इस विधि में सहभागी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।



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Friday 4 April 2014

Handi Prasad Preparation By Aniruddha Bapu

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Aniruddha Sai handi Prasad
handi Prasad video

श्री अनिरुद्ध हंडी प्रसाद: 
इस पवित्र पावन दिवसपर, हर एक श्रद्धावान सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू के शुभ हाथोंसे पावन हुआ हंडी प्रसाद का लाभ ले सकते है। यह बनाते समय, बापू स्वयं इस हंडीमे आवश्यक सामग्री डालकर उसे चलातें हैं। यही इस प्रसाद की खासियत है। यह हंडी प्रसाद हर एक को ’श्री साईसच्चरित’ मे वर्णित हंडी प्रसाद की याद दिलाता है। इस प्रसाद का स्वाद एकमेव अद्वितीय और अवर्णनीय होता है। हर एक भक्त जाने से पहले यह प्रसाद अवश्य ग्रहण करके जाता है।

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Thursday 3 April 2014

रामजन्माच्या वेळेस वापरण्यात येणार्‍या पाळण्याचे महत्त्व

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Palana of Aniruddha Bapu
सदगुरु श्री अनिरुद्ध बापू ज्या पाळण्यात वाढले तोच हा अनिरुद्ध बापूंचा पाळणा

१८ नोव्हेंबर १९५६ त्रिपुरारि पौर्णिमा ह्या दिवशी श्री अनिरुद्धांचा पहाटे ४ वाजुन ३५ मिनिटांनी जन्म झाला.

२९ नोव्हेंबर १९५६ रोजी संध्याकाळी ४ वाजुन ३५ मिनिटांनी अनिरुद्ध हे नाव पणजी द्वारकाबाई पाध्ये (माई), बापूंच्या आजी शकुंतालाबाई पंडित व अरुंधती माता ह्या तीन मातांनी श्री गोपीनाथ शास्त्री पाध्ये (बापूंचे मानवी सद्‌गुरु व पणजोबा) ह्यांच्या दृष्टांतानुसार ठेवले.

हे नामकरण ज्या पाळण्यात झाले तोच हा पाळणा, सर्व भक्तांसाठी प्रचंड आदराचे व परम पावित्र्याचे स्थान.

अनिरुद्ध ह्या नामाच्या पवित्र उच्चरणाची साक्षीदार असलेली ही एकमेव चिरंतन वास्तु.

ह्या पाळण्याची दोरी ह्या तीन मातांनी सर्वप्रथम ओढली तो क्षण अजर व अमर आहे.
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श्रीरामरक्षा स्तोत्रं

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Ramraksha
श्रीरामरक्षा स्तोत्र

श्री गणेशायः नमः।


अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: 
श्रीसीतारामचन्द्रो देवता । अनुष्टुप्छन्द: । सीता शक्ति: 
श्रीमान् हनुमान् कीलकम् 
श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ।



अथ ध्यानम्

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं 
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ।

वामाङ्कारूढसीतामुखकमलविलल्लोचनं नीरदाभं 
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम् ॥



इति ध्यात्वा ।  


चरितं रधुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटापुकुटमण्डितम् ॥२॥

सासितूणधनुर्बाणपार्णि नक्तञ्चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥

रामरक्षां पठेत प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥

कौसल्येयो द्दशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥

जिह्वां विद्यानिधि: पातु कण्ठं भरतवन्दित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥

करौ सीतापति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघूत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥

जानुनी सेतुकृत् पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ विभीषणश्रीद: पातु रामोऽखिलं वपु: ॥९॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठेत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥

पातालमूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापैर् भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्धय: ॥१३॥

वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमङ्गलम् ॥१४॥

आदिष्टवान् यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्वरौ ॥१७॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष: कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥१९॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥

संनद्ध: कवची खङ्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथोऽस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥

रामो दाशरथि:  शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघूत्तम: ॥२२॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेयपराक्रम: ॥२३॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशय: ॥२४॥

रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नरा: ॥२५॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापति सुन्दरं
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धामिंकम् ।
राजेन्द्रं सत्यसन्धं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्ति 
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२८॥

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ  वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ  शिरसा नमामि 
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्र: 
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालुर्नान्यं 
जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम् ॥३१॥

लोकाभिरामं रणरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमद्‌तानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे 
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं 
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

राम रामेति रामेति रमे मनोरमे ।
सहस्रनामतत्तुल्यं रामनाप वरानने ॥३८॥



इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

॥ श्रीसितारामचंद्रार्पणमस्तु ॥  
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Photos of Ram Navami Utsav 2003

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सद्गुरु श्री अनिरुद्ध उपासना ट्रस्टद्वारा आयोजित रामनवमी उत्सव २००३ के कुछ यादगार पल....

Aniruddha bapu_ Nandai_ Suchitdada
राम जन्म के विधी दौरान अनिरुद्ध बापू सहपरिवार 
Aniruddha bapu at ram navami 2003
अनिरुद्ध बापू रामनवमी उत्सव २००३ के अवसरपर 

Aniruddha-Bapu-with-followers
अनिरुद्ध बापू रामनवमी उत्सवपर रामनाम अखंड जप के यहॉं श्रद्धावान भक्त को अबीर लगाते हुए

MeenaVahini_ aniruddha bapu Bhakta
स्व. मीना वैनी बाल श्रीराम का झुला झुलाते हुए



shree-sairam-sahatra-yadnya
श्री साईराम सहस्त्र यज्ञ का लाभ उठाते हुए श्रद्धावान
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Tuesday 1 April 2014

युद्ध माझा राम करणार - Shri Ram Wallpaper HD

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Aniruddha Mahavakyam - Ram Wallpaper  HD
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= मराठी =
युद्ध माझा राम करणार। समर्थ दत्तगुरु मूळ आधार। मी सैनिक वानर साचार।रावण मरणार निश्चित।
॥इति अनिरुद्धमहावाक्यम्‌॥‌

=English=
My Ram will wage war| 
Self Sufficient Dattaguru is the origin, the basis|
A soldier, I am a vanar in word and in deed|
Ravan will die yes he will||

= हिंदी = 
युद्ध करेंगे मेरे श्रीराम । समर्थ दत्तगुरु मूल आधार | 
मैं सैनिक वानर साचार| रावण मरेगा निश्चितही ।।

Artwork By Aniruddha Kaldalan
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